Menu
blogid : 25857 postid : 1347837

आओ मुट्ठी में सारा संसार भर लेते हैं

Kalam Se
Kalam Se
  • 2 Posts
  • 1 Comment

bachpan



आओ ज़िन्दगी का सिक्का फिर उछालते हैं,
नई शुरुआत करते हैं,
ना हम इस दुनिया के,
ना ये दुनिया हमारी,
चलो आज किसी के होठों पर मुस्कुराहट, फिर से लाते हैं,
चलो आज एक आँसू और पोछते हैं,
चलो अपनी दुनिया बनाते हैं,
चलो आज ख्वाबों से आंखें फिर साजते हैं,
आज कच्‍ची सड़कों पर फिर दौड़ लगाते हैं,
चलो दोस्तों के साथ फिर खिलखिलाते हैं,
अपने बीते हुए कल को वापस बुलाते हैं,
चलो बारिश के पानी में फिर,
नाचते गाते हैं,
चलो बेवज़ह मुस्कुराते हैं,
चालो यादों को फिर जीते हैं,
आओ मीठी यादें सजाते हैं,
आओ ख्वाबों का जहां बनाते हैं,
बचपन की कहानियां जीते हैं,
कुछ नामुमकिन आरज़ू करते हैं,
आओ हाथों को फिर से मिट्टी से भरते हैं,
चलो बारिश में झूला झूलते हैं,
अपना नन्हा आंगन बनाते हैं,
चलो फिर से बच्चे बन जाते हैं
ज़िन्दगी के दौड़ छोड़,
कुछ देर राहों पे निगाह दौड़ाते हैं,
ठंडी आहें भरते हुए,
गलतियों को याद करते हैं,
उन पर मुस्कुराते हैं,
उस वक़्त को याद करते हैं,
जब गलतियां भी माफ़ होती थी,
जब ज़िन्दगी से गिला शिकवा ना था,
जब हम भी बेफिक्र हुआ करते थे,
आओ उन किस्से को फिर दोहराते हैं,
ज़िन्दगी को अपने इशारों पे घुमाते हैं,
हाथों की लकीर को छोड़,
हाथों से लकीर बनाते हैं,
एक तोहफ़ा अपने आप को देते हैं,
आओ खुशबू में खो जाते हैं,
आओ खुशियों को एक नया मौका देते हैं,
आओ गम में घुलकर आँसू बहाते हैं,
आओ मुट्ठी में सारा संसार भर लेते हैं।
आओ ज़िन्दगी के सिक्के का पहलू अपने हिसाब से बदलते हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh